Dosto,Yahan hum aap logo ke liye Chhoti Kahaniya ki series se ye Chinti aur Tidda ki kahani hindi me likh rahe hai. Ye ek siksha dene wali short story hai. To aaiye shuru karte hai is moral story ko..
एक बार की बात है। एक घास के मैदान में एक चींटी और एक टिड्डा रहता था। चींटी का नाम एंडी था और टिड्डा का नाम ग्रेग था। एंडी चींटी एक मेहनती चींटी थी पर ग्रेग टिड्डा बहुत ही आलसी टिड्डा था।
गर्मी का मौसम था। चींटी हमेशा की तरह अपना भोजन इकट्ठा करने में लगी थी। दरअसल आने वाले कुछ दिनों में सर्दियों का मौसम आने वाला था इसलिए चींटी आगामी सर्दियों के लिए भोजन की तैयारी में व्यस्त रहती थी। वह कड़ी धुप में भी खेतो से दाने को ले जाकर अपने घर में जमा कर रही थी।
वही दूसरी ओर, ग्रेग टिड्डा आलसी और लापरवाह था। टिड्डा अपना पूरा दिन नाच कर, गाने गाकर और सूरज की गर्मी का आनंद लेते हुए बिता रहा था। एक ओर जहाँ टिड्डा अपनी मौज मस्ती में लगा हुआ था वही चींटी अनाज के एक- एक दाने को अपने पीठ पर ढोकर अपने बिल में जमा करने में लगी थी। कभी कभी तो मस्ती में डूबा टिड्डा चींटी को अनाज ढोते देखकर उस पर हंसता और उसका मजाक भी उड़ाता था।
धीरे-धीरे गर्मी का मौसम खत्म हो गया और सर्दियों का मौसम आ गया। एंडी चींटी के पास भोजन का भंडार हो गया था , जबकि ग्रेग टिड्डा के पास कुछ भी नहीं था। ग्रेग अब ठंड और भूख से तड़प रहा था। तभी उसने चींटी को देखा जो अपनी बिल में जमा किए हुए अनाज मजे से खा रही थी।
ग्रेग टिड्डा मदद के लिए एंडी चींटी के पास पहुंचा। एंडी ने अपना कुछ भोजन साझा किया और टिड्डा को खाने के लिए कुछ अनाज दिए। लेकिन उसने ग्रेग को एक मूल्यवान सबक भी दिया: “भविष्य के लिए योजना बनाना और जब भी संभव हो कड़ी मेहनत करना आवश्यक है।”
Is chinti aur tidda ki kahani se hume kya sikhne ko milta hai ..
चींटी और टिड्डे की ये छोटी सी कहानी हमें भविष्य के लिए कड़ी मेहनत, जिम्मेदारी और योजना का महत्व सिखाती है। एंडी की तरह, खुद को बचाने के लिए दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय मेहनती होना और जरूरत के समय के लिए पहले से तैयारी करके रखना ही बुद्धिमानी है।
To dosto, ummid hai aaplogo ko ye chinti aur kahani pasand aayi hogi.