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चतुर कौआ की कहानी

चतुर कौआ की कहानी
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बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर गांव में एक बड़ा ही चतुर कौआ रहता था। उसका नाम मुन्ना था। मुन्ना बहुत ही आलसी था और अकेले ही अपने लिए खाने की तलाश में रहता था।

एक दिन, मुन्ना कौआ एक बड़े से पेड़ पर बैठा हुआ था। वह वहाँ से गुजर रहे गांव के बच्चों को देखकर सोचा कि उन्हें कुछ खिलाना चाहिए। लेकिन मुन्ना के पास कुछ भी खाने के लिए नहीं था।

फिर मुन्ना ने अपनी चाल में तबदीली करने का फैसला किया। वह गांव के एक खरगोश के पास गया और उसको यह बताया कि वह एक महान जादूगर है और उसके पास एक बड़ा खजाना है, जो केवल उसकी खरगोश की चाल के साथ ही खुलता है।

खरगोश बहुत ही आलसी था और उसने मुन्ना कौआ की बातों में यकीन किया। वह मुन्ना कौआ को अपने खजाने के पास ले गया और उससे चाल करने की परिक्षा ली।

मुन्ना कौआ ने जबरदस्ती की चाल करने की कोशिश की, लेकिन खरगोश ने उसे पकड़ लिया और उसे खजाने के पास ले गया।

फिर खरगोश ने खजाने का दरवाज़ा खोला, लेकिन वहाँ कुछ भी नहीं था। मुन्ना कौआ बिल्कुल खाली हाथ वापस आया और खरगोश से माफ़ी मांगी।

खरगोश ने मुन्ना कौआ की माफ़ी कबूल की और उसके साथ दोस्ती कर ली। मुन्ना कौआ ने अपनी चालीस चोरी की बजाय दोस्ती की जीत हासिल की।

नैतिक शिक्षा-इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि चालाकी से चोरी करने की बजाय दोस्ती करना बेहतर होता है, और दोस्ती हमें अधिक आलसी और बदले के बिना सुखद रिश्तों का आनंद देती है। चतुर कौआ मुन्ना ने अपनी चालकी की बजाय दोस्ती का मार्ग चुना, और इससे उसे अधिक खुशियाँ मिली।

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