बहुत समय पहले की बात है, एक छोटा सा गाँव था। उस गाँव में एक छोटा सा कुत्ता रहता था। उसका नाम बिल्लू था। बिल्लू बहुत ही लालची था। वह हमेशा खाने की तलाश में रहता था और दूसरों से खाने के लिए कभी-कभी छिपकर चुराकर लेता था।
एक दिन, गाँव में एक बड़ा सा मेला आया। मेले में बहुत सारे लोग आए और वहाँ बहुत सारे खाने के स्टॉल भी लगे थे। बिल्लू ने देखा कि सब लोग मेले में खाने का आनंद ले रहे थे और उसका मुँह भी पानी आ रहा था।
बिल्लू लालच में आकर वह मेले के स्टॉल पर चुराकर खाने लगा। वह अपने लालच की मित्ती में डूबा रहा और खाने का आनंद ले रहा था।
परंतु, बिल्लू ने यह नहीं सोचा कि उसका लालच उसकी परेशानी का कारण बन सकता है। जब वह ज्यादा खाने लगा, तो उसका पेट दर्द करने लगा। उसकी हालत बहुत खराब हो गई और वह मेले के स्टॉल पर बेहोश हो गया।
मेले के लोगों ने बिल्लू को उठाया और उसकी मदद की। उन्होंने उसे पानी पिलाया और दवा दी। बिल्लू ने अपने लालच का पछतावा किया और यह सीखा कि लालच करने से हमेशा अच्छा नहीं होता।
इसके बाद, बिल्लू ने अपने लालच को दूर किया और उसने कभी चोरी नहीं की। वह सीख गया कि सच्चे खुशियों का स्रोत लालच नहीं, बल्कि ईमानदारी और साझेदारी होती है।
नैतिक शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सिखना चाहिए कि लालच करने से हमें हानि होती है और हमें दूसरों का साथ देना और सच्चाई में खुश रहना चाहिए।”