किसी गाँव में एक धोबी रहता था। उसने घर की रखवाली के लिए एक कुत्ता और रोज़ के काम के लिए गधा रखा हुआ था। वह गधे की पीठ पर काफी बोझ लादा करता।
एक रात धोबी घर में चैन की नींद सो रहा थाए तभी एक चोर आ पहुँचा। धोबी का गधा और कुत्ता आँगन में बंधे थेए उन्होंने चोर को अंदर आते देखाए पर कुत्ते ने मालिक को चौकन्ना नहीं किया। गधे ने उससे कहा- ष्मित्र! यह तुम्हारा फर्ज बनता है कि तुम मालिक को चोर के आने की खबर दो। तुम उसे उठाते क्यों नहीं
ष्कुत्ते ने चिढ़ कर कहा- ष्तुम परवाह मत करो। पता हैए मैं दिन-रात घर की पहरेदारी करता हूँए पर मालिक के साथ ऐसा ही सलूक करना चाहिए। अच्छा हैए चोरी होने दोए उसे नुकसान होगाए तब मेरी कद्र पता चलेगी।
गधा कुत्ते की बात से सहमत नहीं था। उसने उसे समझाने की कोशिश की-‘सुनो दोस्तए नौकर को इस तरह शर्ते लगा करए अपने काम को अनदेखा नहीं करना चाहिएए मालिक को इस समय तुम्हारी जरूरत है।ष् पर अड़ियल कुत्ते पर कोई असर नहीं हुआ। वह उसकी सलाह को अनसुना कर बोला-ष्तुम कृपया मुझे पाठ मत पढ़ाओ।
तुम्हें नहीं लगता कि मालिक को भी अपने नौकर की देखभाल व कद्र करनी चाहिए।
गधा काफी परेशान था। वह दोबारा कुत्ते से बहस करने नहीं गया। हालांकि उसे लगा कि इस समय उसे मालिक की मदद करनी चाहिए। उसने कुत्ते से कहा-ष्मूर्ख जानवर! अगर तुम मालिक को नहीं उठा रहेए मुझे ही कुछ करना होगा।