एक समय की बात है, जब एक गांव में दो प्यारी बिल्लियाँ रहती थीं। उनके नाम बिल्लू और बिल्ली थे। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे।
एक दिन, वे दोनों जंगल में घूमने गए। जंगल में उन्हें एक बड़ा सा बंदर मिला। बंदर बहुत ही भोला और मिलनसर था। बिल्लू और बिल्ली ने उस बंदर को अपना दोस्त बना लिया।
फिर वे तीनों बिल्ली और बंदर साथ-साथ बहुत मजे करते थे। वे फल खाते, खेलते, और जंगल में घूमते थे। उनकी दोस्ती बहुत ही मजेदार थी।
एक दिन, उन तीनों ने एक बड़ा सा पेड़ देखा, जिस पर बहुत सारे मिठे आम लटके थे। उन तीनों ने सोचा कि वे पेड़ पर जाकर आम खाएंगे।
लेकिन वो पेड़ बहुत ही ऊंचा था, और उनमें से किसी के पास बूढ़ापे में तो सीढ़ियां चढ़ने की सीख थी ही नहीं।
बिल्लू बिल्ली और बंदर ने मिलकर सोचा कि वे मिलकर इस समस्या का समाधान निकालेंगे। उन्होंने एक साथ कई टोकरियां जमाई और उन्हें पेड़ के चारों ओर बांध दिया। इसके बाद, वे सीढ़ियों पर चढ़कर आमों को तोड़ने लगे।
बिल्लू ने ऊपर की ओर बांध निकाली, बिल्ली ने बीच की ओर की ओर बांध निकाली, और बंदर ने नीचे की ओर की ओर बांध निकाली। इस तरीके से उन्होंने सभी आमों को तोड़ दिया और उन्हें खाया।
इसके बाद, तीनों दोस्त खुशी-खुशी वापस अपने गांव की ओर चले गए, और उन्होंने इस अनुभव से यह सिखा कि मिलकर किसी भी मुश्किल को आसानी से हल किया जा सकता है।
इसके बाद से, वे तीनों दोस्त और भी मजबूत हुए और उनकी दोस्ती हमेशा खुशियों से भरी रही।
नैतिक शिक्षा:
यह थी दो बिल्लियों और एक बंदर की मजेदार कहानी, जो हमें यह सिखाती है कि मिलकर काम करने से हर मुश्किल को आसानी से पार किया जा सकता है।