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चतुर खरगोश और शेर

चतुर खरगोश और शेर
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अत्यधिक घमंड अच्छा नहीं है

अत्यधिक घमंड किसी के लिए भी अच्छा नहीं होता। जब हम अपने कौशल, सफलता, या गुणों पर अत्यधिक गर्व करते हैं, तो हम दूसरों को छोटा समझने लगते हैं और विनम्रता खो देते हैं। घमंड हमें अंधा बना देता है और कमजोरियों को पहचानने नहीं देता।

एक घने जंगल में, जहाँ विविध प्रकार के जानवर रहते थे, वहाँ एक बहुत ही चतुर खरगोश भी था। इस जंगल में एक शेर भी रहता था, जो अपनी ताकत और दहाड़ के लिए जाना जाता था। एक दिन, शेर ने फैसला किया कि वह खरगोश को अपना भोजन बनाएगा। जब खरगोश को यह पता चला, तो उसने एक योजना बनाई।

खरगोश ने शेर को समझाया कि जंगल में एक और शेर है, जो उससे भी ज्यादा ताकतवर और बड़ा है। शेर अपनी शक्ति पर बहुत घमंड करता था और उसने तुरंत उस दूसरे शेर से मिलने का निर्णय किया। खरगोश शेर को एक गहरे कुएँ के पास ले गया, जहाँ पानी में शेर की परछाई दिखाई दे रही थी।

शेर ने जब कुएँ में झाँककर देखा, तो उसे लगा कि वह दूसरा शेर ही है जो उसे घूर रहा है। वह उस परछाई पर दहाड़ने लगा, लेकिन परछाई भी उसी तरह दहाड़ रही थी। शेर समझ नहीं पाया कि वह तो अपनी ही परछाई को चुनौती दे रहा है। इस बीच, चतुर खरगोश वहाँ से चुपचाप निकल गया और उसने अपनी जान बचाई।

जब शेर को अहसास हुआ कि उसे धोखा दिया गया है, तो उसे अपने अहंकार पर पछतावा हुआ। उसने समझा कि केवल शक्ति ही सब कुछ नहीं होती, बुद्धि भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। खरगोश की चतुराई ने न केवल उसकी जान बचाई, बल्कि शेर को भी एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया।

नैतिक शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कई बार शारीरिक शक्ति से ज्यादा, बुद्धि और सूझबूझ से समस्याओं का समाधान निकल सकता है। खरगोश की चतुराई ने उसे शक्तिशाली शेर से भी बचा लिया।

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